जयपुर। शहर की सड़कों पर बने अच्छे खासे डिवाइडर हटाकर उनकी जगह दो-ढाई फीट ऊंचे डिवाइडर खड़े किए जाने का चलन सा हो गया है। वाहनों के लिए छोड़े जाने वाले कट को ही पैदल यात्रियों के लिए मान लिया जाता है। चूंकि वाहनों के लिए कट की दूरी निश्चित रूप से ज्यादा ही होगी, इसलिए पैदल यात्रियों की परेशानी समझी जा सकती है। चलते ट्रैफिक के बीच दो-ढाई फीट ऊंचे डिवाइडर पर चढऩा और फिर नीचे उतरना एक बड़ा ‘टास्क’ हो जाता है। महिलाओं और बुजुर्गों की तो क्या बात करें, नौजवान भी झटका खा जाते हैं। टोंक रोड से गुर्जर की थड़ी तक गोपालपुरा बाइपास पर प्रतिदिन ऐसे ही ऊंचे डिवाइडर पर चढ़ते-कूदते युवा दिखाई देते हैं। यहां कोचिंग क्लासेज की भरमार है, इसलिए बड़ी संख्या में युवा चढ़ते-कूदते डिवाइडर क्रॉस करते रहते हैं। यह जांच का विषय हो सकता है कि इनमें से कितनों ने इसे खुद सहित अन्य महिलाओं-बुजुर्गों के संबंध में सोचते हुए इस समस्या को शासन-प्रशासन के समक्ष उठाया हो? चूंकि इनमें से अधिकांश युवा भविष्य में शासन-प्रशासन का अंग बनने के लिए ही कोचिंग में तैयारी कर रहे हैं, इसलिए इनका संवेदनशील होना अपेक्षित है। टैक्नोफ्रेंडली होने के बावजूद यदि आज का युवा अपनी समस्या संबंधित प्लेटफॉर्म पर नहीं रख रहा है तो यह खुद एक बड़ी समस्या है। खैर, यहां बात गोपालपुरा बाइपास की हो रही थी, इसलिए युवाओं की भी बात हो गई। दूसरी तरफ दुर्गापुरा से जेएलएन मार्ग जा रहे एस.एल. मार्ग पर भी अच्छा खासा डिवाइडर तोड़कर ऊंचा डिवाइडर बना दिया गया है। फिलहाल मेन जेएलएन मार्ग पर कार्य चल रहा है। उम्मीद है कि यहां ऐसी चूक नहीं हो। चौड़ा रास्ता में पैदल यात्रियों के लिए बने सुविधाजनक कट को देखा जाए तो सभी स्थानों पर ऐसा किया जा सकता है।
यदि ऊंचाई वाले डिवाइडर लगाए ही इसलिए जा रहे हैं कि वाहनों की गति बाधित नहीं हो, तो ऐसा संभव भी नहीं है, क्योंकि पैदल यात्री आधा किलोमीटर दूर कट से क्रॉस करने से बेहतर चढऩा-कूदना मानता है, यह दीगर बात है कि इसमें जान का जोखिम है। किसी हादसे से सबक लेकर तो बदलाव हो ही जाता है, प्रयास होना चाहिए कि संभावित हादसे को रोका जाए।

मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार के ध्यानार्थ प्रेषित :
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गोपालपुरा बाइपास
एस.एल. मार्ग
जेएलएन मार्ग
गोपालपुरा बाइपास
चौड़ा रास्ता