बांसवाड़ा। जनजाति बहुल बांसवाड़ा जिले में ग्राम्य महिलाएं अपने हुनर और आधुनिक तकनीक को अपना कर आत्मनिर्भरता के साथ ही वेस्ट से बेस्ट की संकल्पना को मूर्त रूप देकर स्वरोजगार के जरिये घर-परिवार की खुशहाली में अपना योगदान करने में ख़ासी रुचि दर्शा रही हैं। अब जिले में फूलों से अगरबत्ती निर्माण का नवाचार अपनाया जा रहा है। मन्दिरों में चढऩे वाले फूलों का अब तक कोई उपयोग नहीं हो पाता था सिवाय वेस्ट के। लेकिन अनुपयोगी मानकर फेंक दिए जाने वाले फूलों और फूलमालाओं का उपयोग कर अब सुगंधित अगरबत्तियां बनाई जाने लगी हैं। इस नवाचार को अपनाया है तलवाडा पंचायत समिति अन्तर्गत फाटी खान ग्राम पंचायत के केवडिया गांव की महिलाओं ने। गांव की 27 महिलाओं द्वारा स्थापित ‘प्रकृति के आशा स्वयं सहायता समूह’ ने इस काम को हाथ में लिया है। इसके अन्तर्गत प्रसिद्ध देवी तीर्थ त्रिपुरा सुन्दरी एवं सिद्धि विनायक मन्दिर सहित अन्य मन्दिरों में भक्तजनों द्वारा चढ़ाए जाने वाले फूलों व फूलमालाओं के पूजा-अर्चना एवं चढ़ावे के उपयोग में आने के पश्चात इन फूलों व फूलमालाओं को एकत्रित कर अगरबत्तियां तैयार करने का कार्य किया जा रहा है। सधे हुए हाथों से जिस तरह इन हुनरमन्द महिलाओं द्वारा यह कार्य किया जा रहा है, वह अपने आप काबिले तारीफ होने के साथ ही अन्य समूहों एवं महिलाओं में भी प्रेरणा जगाने वाला है। फूलों से तैयार की जा रही ऑर्गेनिक अगरबत्ती की महक मनभावन है। बांसवाड़ा जिला प्रशासन की पहल पर राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) बांसवाड़ा के अन्तर्गत ब्लॉक परियोजना प्रबंधन इकाई तलवाड़ा की प्रकृति सीएलएफ के फाटी खान ग्राम पंचायत के केवडिया गांव में अनुपयोगी फूलों के माध्यम से अगरबत्ती निर्माण यूनिट का हाल ही जिला कलक्टर अंकित कुमार सिंह ने उद्घाटन किया।

उत्पादों को बाजार देने हरसंभव प्रयास
जिला कलक्टर ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई जा रही अगरबत्तियों के कार्य की तारीफ करते हुए कहा कि आगामी समय में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा निर्मित अगरबत्ती की मार्केटिंग के लिए हरसंभव बेहतर प्रयास किए जाएंगे।

हर्बल गुलाल भी होगी तैयार
आशा स्वयं सहायता समूह द्वारा मंदिरों के फूलों को संकलित कर ऑर्गेनिक अगरबत्ती निर्माण के साथ ही हर्बल गुलाल निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा गया है। इससे समूह की इन महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता एवं आजीविका संवर्धन को सम्बल प्राप्त होगा। समूह द्वारा होली पर्व पर उपयोग के लिए हर्बल गुलाल तैयार की जाएगी। इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां जारी हैं। समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देते हुए हर्बल गुलाल तैयार करने का काम किया जा रहा है।