राजस्थान के चूरू जिले में स्थित सालासर हनुमान धाम भारत का एकमात्र बालाजी का मंदिर है जिसमें बालाजी के दाढ़ी और मूंछ है। बाकि चेहरे पर राम भक्ति में राम आयु बढ़ाने का सिंदूर चढ़ा हुआ है। इस धाम के बारे में यह प्रसिद्ध है कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। सालासर बालाजी सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यहां हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों ने किया था, जिसमें मुख्य थे फतेहपुर से नूर मोहम्मद व दाऊ।
श्री हनुमान मंदिर सालासर कस्बे के ठीक मध्य में स्थित है। यह जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर सीकर से लगभग 57 किमी व सूजानगढ़ से लगभग 24 किमी दूर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए जयपुर व अन्य स्थानों से पर्याप्त परिवहन साधन उपलव्ध हैं। किराये की टैक्सी सेवा भी उपलब्ध है। हनुमान सेवा समिति, मंदिर और मेलों के प्रबंधन का काम करती है। यहां रहने के लिए कई धर्मशालाएं और खाने-पीने के लिए कई जलपान-गृह (रेस्त्रां) हैं।
बाबा मोहनदास की तपोस्थली
बाबा मोहनदास जी ने 300 वर्ष पहले अपने हाथ से सालासर मंदिर में धुणी प्रज्जवलित की थी, जो आज भी ज्यों की त्यों प्रज्जवलित है। जब से हनुमान जी महाराज सालासर में विराजमान हुए हैं, तब से अखण्ड जारी है। मोहनदास जी का समाधिस्थल जन-जन की आस्था का केन्द्र है। बताया जाता है कि मोहनदास जी ने बालाजी से कहा था कि आप उसी स्वरूप में विराजमान हों, जिस स्वरूप में आपने मुझे सर्वप्रथम दर्शन दिए थे। मोहनदास जी ने बालाजी का प्रथम साक्षात्कार दाढ़ी-मूंछ के रूप में ही किया था। आज सालासर भक्तों का एक पुनीत तीर्थ है। आदिकाल में सालासर बालाजी निश्चित ही एक उद्धारक के रूप में दर्शनार्थियों का कष्ट निवारण कर अपने सखा मोहनदास जी को दिए वचन का निर्वाह कर रहे हैं।
- हेमंत व्यास