नीदरलैंड। साझा संसार नीदरलैंड द्वारा पूर्वोत्तर भारत और प्रवासी भारतीय काव्य मिलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन जीतेंद्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस आयोजन में पूर्वोत्तर भारत से डॉ जमुना बीनी अरुणाचल प्रदेश से, आलोक सिंह मेघालय से, डॉ प्रदीप त्रिपाठी सिक्किम से और विपुल रेगोन ने आसाम से भाग लिया। प्रवासी भारतीय साहित्यकार डॉ अंकुर गुप्ता ने सिंगापुर से, सुशांत जैन ने नीदरलैंड से, सुनीता पाहूजा ने मॉरीशस से और जोयिता दत्ता ने नीदरलैंड्स से भाग लिया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में जितेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा “साहित्य एक वैश्विक परिवार है। कविता मानवता की पुकार है। पूर्वोत्तर भारत में भी हिंदी कविता का आयतन अब विस्तृत हो रहा है।”
इस अवसर पर जितेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी कविताओं ‘सपने अधूरी सवारी के विरुद्ध होते हैं’ और ‘रामदुलारी नहीं रही, गई राम के पास’ का पाठ भी किया। इस आयोजन के स्वागत वक्तव्य में साझा संसार से डॉ रामा तक्षक ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत और प्रवासी भारतीय काव्य मिलन एक अनुपम अवसर है। भारतीय संविधान में भाषाओं की अनुसूची में पूर्वोत्तर भारत व प्रवासी भारतीयों को हिंदी भाषी ‘ग’ श्रेणी में शामिल किया गया है। यानी पूर्वोत्तर भारत और प्रवासी भारतीय एक ही श्रेणी में आते हैं। हिंदी भाषा के दो प्रवाहों का यह जुड़ाव अपने आप में अद्वितीय है।
इस समारोह का मंच संचालन नीदरलैंड से विश्वास दुबे ने किया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत और प्रवासी भारतीय काव्य मिलन एक विविधताओं का संगम है। इस आयोजन का तकनीकी संचालन मुंबई से राजेंद्र शर्मा ने किया।