नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने भारत के संविधान को भारतीय मूल्यों का आधार स्तंभ बताया है। उन्होंने कहा कि संविधान में दिए गए मूल कर्तव्यों में भारतीय मूल्य निहित हैं। अगर युवा पीढ़ी इन कर्तव्यों के अनुरूप चले, तो समाज और देश निरंतर प्रगति करेगा। यह जरूरी है कि युवा पत्रकार भारत की कहानी दुनिया को बताएं। अरोड़ा शुक्रवार को ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी भी उपस्थित थे।
‘भारतीय संविधान : भारतीय मूल्यों की अभिव्यक्ति’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अरोड़ा ने कहा कि आज पूरी दुनिया जिस शांति के मार्ग को ढूंढ रही है, उसका रास्ता भारत के संविधान से होकर गुजरता है। हमारे संविधान निर्माताओं ने कहा था कि किसी भी समस्या का हल तलाशना है, तो भारत की ओर देखो। भारत का अर्थ है प्रकाश की खोज में लगे हुए लोग। अगर आप इंडिया को जानना चाहते हैं, तो पहले भारत को जानना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे विशाल संविधान होते हुए भी भारतीय संविधान हमेशा जीवंत और प्रासंगिक बना हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नागरिक होने के नाते यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम संविधान की मूल भावना को जानें, ताकि सार्थक रूप से अपने अधिकारों को समझ सकें।
‘संविधान दिवस’ पर आईआईएमसी में ‘शुक्रवार संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन
अरोड़ा ने कहा कि आजादी के बाद जब देश की आजादी के नायकों ने देश के लिए संविधान की रचना की, तब हमारे संविधान में स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के आधारभूत मूल्यों को शामिल किया गया। हमारे संविधान निर्माताओं ने अपने अनुभव और ज्ञान से न केवल इन लक्ष्यों को हासिल किया, बल्कि हमें एक ऐसा संविधान दिया जो अपने समय का सबसे प्रगतिशील संविधान है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान केवल राजनीतिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारतीयता की सामाजिक और सांस्कृतिक रचना भी है। हम सभी का कर्तव्य है कि संविधान के उद्देश्यों को साकार करने का हरसंभव प्रयास करें।
विश्व का सबसे बड़ा ‘जनतंत्र’ है भारत : प्रो. द्विवेदी
इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि हमारा संविधान गतिहीन नहीं, बल्कि एक सजीव दस्तावेज है। भारतीय संविधान को हमने अनेकों बार संशोधित किया है। पिछले 72 वर्षों में हमारा लोकतांत्रिक अनुभव सकारात्मक रहा है। हमारा देश विश्व के सबसे बड़े जनतंत्र के रूप में उभर कर सामने आया है। प्रो. द्विवेदी के अनुसार हम अपने इतिहास के ऐसे महत्वपूर्ण समय में हैं, जहां हम एक प्रमुख विश्व अर्थव्यवस्था के रूप में निरंतर विकास कर रहे हैं। यदि हम राष्ट्रीय उद्देश्यों और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ करें, तो विकास के पथ पर देश तीव्र गति से अग्रसर होगा। कार्यक्रम का संचालन आईटी विभाग की प्रमुख प्रो. (डॉ.) संगीता प्रणवेंद्र ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रकाशन विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वीरेंद्र कुमार भारती ने किया।