क्या है योग निद्रा और जीवन में ये क्यों है जरूरी

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योग निद्रा जीवन के लिए बेहद जरुरी है। दरअसल, आज हर व्यक्ति तनावपूर्ण माहौल में जी रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक किसी ना किसी तरह के तनाव से परेशान है। तनाव का बड़ा कारण हमारी महत्वाकांक्षा और लाइफ स्टाइल है। काम, परिवार और जिम्मेदारी की बोझ से दबा हर व्यक्ति महसूस करता है कि उसकी जिंदगी भाग सी रही है। 

इस तनाव और थकान से निपटने के लिए, हम कई तरह के तरीके अपनाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी योग निद्रा के बारे में सुना है? आइए जानते हैं इसके बारे में।  

योग निद्रा एक ऐसी तकनीक है जो आपके मन और दिमाग दोनों को गहरी शांति प्रदान करती है। इसे 'स्लीपिंग योग' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें आप आराम से लेटकर आराम करते हैं और अपने शरीर और मन को शांत करते हैं। योग निद्रा में, आप जागरूकता के साथ आराम करने की कला सीखते हैं। 

योग निद्रा के फायदे:

  • योग निद्रा तनाव और चिंता को कम करने में बहुत प्रभावी है। यह आपके शरीर को आराम देता है और आपके मन को शांत करता है।
  • अगर आपको नींद न आने की समस्या है, तो योग निद्रा आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। यह आपको गहरी और शांत नींद लेने में मदद करता है।
  • योग निद्रा आपके मन को शांत करके आपकी एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है। विद्यार्थियों के लिए यह काफी फायदेमंद है। 
  • योग निद्रा आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आप बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।
  • योग निद्रा आपको अपने आप से जुड़ने में मदद करता है, जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है।

योग निद्रा कैसे करें:

योग निद्रा करने के लिए आपको किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। योग गुरु या योग निद्रा विशेषज्ञ आपको इस तकनीक को सीखने में मदद लेनी चाहिए। योग निद्रा के अभ्यास के लिए आप खुली जगह को चुनें। यह ऐसी जगह होनी चाहिए जहां पर आपको कोई परेशान न करें व आप आसानी से योग निद्रा के अभ्यास को कर पाएं। जमीन पर कपड़ा बिछाएं और शवासन (पीठ के बल लेटना) में लेट जाएं। आंखों को बंद कर लें। शुरू में गहरी श्वास लेते हुए धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आएं।

इसके बाद आपको अपने मन व मस्तिष्क को शांत करना होगा और दिमाग में चलने वाले सभी विचारों को भूल जाना होगा।इसके बाद आप अपने ध्यान को दाएं पैर व पंजे की ओर ले जाएं। इस जगह पर कुछ सेकेंड तक अपने ध्यान को केंद्रित करें। इसके पश्चात ऊपर की ओर आते हुए घुटनों व जांघों की ओर ध्यान ले जाएं। इस दौरान दाएं पैर को पूरी तरह से सचेत अवस्था ध्यान करें। दाएं पैर के लिए अपनाई गई ध्यान प्रक्रिया को बाएं पैर के लिए भी अपनाएं। 

इसके बाद आप अपने शरीर के मध्य अंगों जैसे- जननांग, पेट, नाभि व छाती की ओर ध्यान को ले जाएं। शरीर के मध्य भाग को पूरा करने के बाद आपको अपना ध्यान एक-एक कर दोनों हाथों की अंगुलियों, हथेलियों, कोहनियों, कंधों से होते हुए गर्दन, चेहरे व मस्तिष्क पर ले जाना होगा। सभी अंगों पर ध्यान ले जाने के बाद गहरी सांस लें और शरीर में आती स्वस्थ तरंगों को महसूस करें।

इसके बाद आप धीरे-धीरे बाहरी वातावरण की ओर ध्यान को ले जाएं। थोड़ी देर बाद आप दाहिने करवट लेटते हुए। बाईं ओर की नासिका से सांस को बाहर छोड़े। इससे आपके शरीर का तापमान सामान्य अवस्था में आ जाएगा। कुछ देर बाद धीरे-धीरे उठकर बैठ जाएं और आंखों को खोलें।

ध्यान रखे प्रारंभ में यह अभ्यास किसी योग्य व्यक्ति की देखरेख में करना चाहिए।