"कटि-बस्ती” थेरेपी से कमर और जोड़ो का दर्द छूमंतर

डॉ. रितुराज शर्मा, डायरेक्टर, माइटी हीलर्स, कम्पलीट पैन रिलीफ थेरेपी सेंटर, प्रताप नगर, जयपुर

जयपुर। एक्ससाइज और फिजिकल एक्टिविटीज  से दूरी, लगातार एक ही पॉजीशन में बैठे रहने के कारण लोगों में पीठ, कमर और कंधों में दर्द की शिकायत होना आम बात हो गई है। आयुर्वेद की “कटि बस्ती” थेरेपी में इस दर्द से निजात दिलाने का प्रभावशाली इलाज उपलब्ध है, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इस इलाज से दूर रहते हैं । आयुर्वेद में कई तरह की थेरेपी होती हैं, जो वात, पित्त या कफ को संतुलित करने में मदद करती हैं। इनमें कटि बस्ती थेरेपी भी एक  है। यह आयुर्वेद की सबसे  पुरानी तकनीक है। इस थेरेपी को लेने से पेशेंट को न सिर्फ दर्द से आराम मिलता है, साथ ही बॉडी में नई ऊर्जा का भी संचार होता है। 

कटि बस्ती क्या है?

 संस्कृत में ‘कति’ का अर्थ है पीठ का निचला भाग और ‘ बस्ती’ का अर्थ है किसी चीज को अंदर रखना। कटि बस्ती उपचार के तहत  पेशेंट को दर्द, जकड़न और सूजन से राहत दिलाने के लिए पीठ के निचले हिस्से पर बड़ी मात्रा में गर्म जड़ी-बूटी वाला तेल रखा जाता है।  इस थेरेपी में पीठ के निचले हिस्से में आटे का एक बड़ा सा घेरा बनाकर उसमें गर्म औषधीय तेल डाला जाता है। इससे पीठ से लेकर कमर दर्द तक कम होता है और शरीर को आराम मिलता है। 

कटि बस्ती थेरेपी करने की प्रक्रिया 

 कटि बस्ती थेरेपी की क्रिया को करने में लगभग 40 से 45 मिनट का समय लगता है। इस उपचार के तहत नारियल, सरसों या तिल के तेल में कई तरह की जड़ीबूटी को मिक्स करके उबला जाता है।  इसमें सबसे पहले मरीज को को पेट के बल उल्टा लेटा दिया जाता है , फिर सिर को तौलिया के रोल से सहारा दिया जाता है। इसके बाद उसकी पीठ के निचले हिस्से पर उड़द दाल के आटे से बनी हुई एक बड़ी सी रिंग बनाई जाती है।  इस रिंग को थोड़ा बड़ा और मोटा बनाया जाता है, ताकि तेल बहार न निकले। इस तेल को आटे के सांचे में डाला जाता है। इसके बाद व्यक्ति के  शारीरिक प्रकृति  के अनुसार तेल का सिलेक्शन किया जाता है। तेल उतना ही गर्म रखा जाता है जितना मरीज सहन कर सके। 


कटि बस्ती के फायदे  

 जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याओं होती है, उनके लिए भी यह थेरेपी काफी फयदेमंद है। इससे पेट फूलना, कब्ज, एसिडिटी आदि परेशानी से राहत मिलती है। 

- महिलाओं में समय पर पीरियड नहीं आना, अनियमितता और पीरियड में तेज दर्द होना आदि समस्याओं से निजात मिलती है। 

 - सर्वाइकल, पीठ का दर्द,  माइग्रेन, फ्रोजन शोल्डर,  घुटने का दर्द, गठिया आदि रोगों में इसका सफल उपचार होता है। 

-  इस थेरेपी से नसों का दबाव भी कम होता है। जिससे बल्ड प्रेशर जैसी समस्या भी नहीं होती। हड्डियों और नसों को भी मजबूती मिलती है. 

- तनाव और डिप्रेशन में भी इस थेरेपी से आराम मिलता है। इस क्रिया से बॉडी काफी रिलैक्स होती होती है, दिमाग को शांति मिलती है, जिससे नींद अच्छी अति है, बॉडी में हैप्पी हार्मोन एक्टिव होता है। 

-शरीर के वात दोषों को दूर करने के लिए भी बस्ती थेरेपी प्रभावी मानी जाती है।

 -कटि बस्ती थेरेपी रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाकर दर्द में आराम देती है।