उदयपुर। पत्रकारिता कोई व्यवसाय नहीं है। पत्रकारिता एक मिशन है, एक आंदोलन है। लेकिन मौजूदा दौर में बढ़ती व्यावसायिकता ने पत्रकारिता को भी प्रभावित किया है। बढ़ती व्यावसायिक मानसिकता के चलते अब पत्रकार को भी अपनी पत्रकारिता को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कोरोनाकाल की परिस्थितियों के अनुभव के बाद यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पत्रकार अपनी मजबूत पत्रकारिता को बरकरार रखने के लिए अपने और अपने परिवार की आजीविका का अतिरिक्त विकल्प भी रखे ताकि प्रतिकूल परिस्थितियों में परिवार के संचालन के लिए उसे कष्ट न उठाना पड़े।
यह बात जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान ‘जार’ के प्रदेशाध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा ने रविवार को उदयपुर जार इकाई की ओर से आयोजित वेबिनार में कही। ‘पत्रकारिता के बदलते आयाम और चुनौतियां’ विषय पर आयोजित इस सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के इतर आजीविका के विकल्प जरूर हों, लेकिन इससे पत्रकारिता प्रभावित न हो, पत्रकारिता की पवित्रता बनी रहे, इस बात का भी पूरा ख्याल रहना चाहिए। कुछ अनर्गल गतिविधियों और मीडिया संस्थानों की व्यावसायिक नीतियों के चलते पत्रकारिता की छवि आमजन में कमजोर हुई है। हालांकि, लघु समाचार पत्रों और डिजिटल मीडिया पर उभरते नए संघर्ष ने पुनः जनहित के समाचारों को गति प्रदान की है और यह गति बरकरार रहनी चाहिए। उन्होंने वेबिनार में उठे एक सवाल पर यह भी कहा कि पत्रकार की विचारधारा कोई भी हो सकती है और होती भी है, लेकिन खबर पर उस विचारधारा का प्रभाव नजर नहीं आना चाहिए। शर्मा ने खोजपरक पत्रकारिता के सम्बंध में कहा कि पत्रकारों पर इन दिनों हमले बढ़ रहे हैं, ऐसे में खोजपरक खबरें करते समय अकेले न रहते हुए पूरी सावधानी बरतने की जरूरत नजर आने लगी है।
जार उदयपुर के जिलाध्यक्ष नानालाल आचार्य ने बताया कि जार उदयपुर के बैनर तले उदयपुर संभाग की इस पहली वेबिनार में प्रदेश के महासचिव संजय सैनी सहित जार जयपुर ग्रामीण की टीम भी शामिल हुई। उदयपुर महासचिव भरत मिश्रा व मीडिया प्रमुख हरीश नवलखा की ओर से परिचय व स्वागत रस्म के साथ शुरू हुई वेबिनार में प्रदेशाध्यक्ष राकेश शर्मा ने पहले वेजबोर्ड और अब कोरोना काल में अपनाई गई मीडिया संस्थानों की नीतियों से सीख लेने की जरूरत बताई और पत्रकार को स्वयं को मजबूत करने की जरूरत बताई।
प्रदेश महासचिव संजय सैनी ने पत्रकारों के रोजगार, सुरक्षा आदि मुद्दों कहा कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बीच अब मीडियाकर्मियों को अपने स्वयं को एक आदर्श पत्रकार के रूप में मजबूत करना होगा। अचानक नौकरी न रहने पर हताश न होते हुए डिजिटल माध्यमों को अपनी लेखनी का माध्यम बनाने पर विचार करना होगा। सैनी ने कहा कि पत्रकार सुरक्षा, पत्रकार सम्मान राशि, मेडिकल डायरी, पत्रकार आवास, चिकित्सा सुविधा को लेकर जार ने कई मुद्दों पर आवाज उठाई है जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा गंभीरता से लेते हुए निर्णय भी किए गए हैं।
जार के प्रदेश सचिव कौशल मूंदड़ा एवं प्रदेश कार्य समिति सदस्य राजेश वर्मा ने वेबिनार की उपयोगिता पर विचार रखे। मुख्य रूप से पत्रकारों को चिकित्सा सुविधाओं की सहज उपलब्धता की उन्होंने जरूरत बताई। वेबिनार में चित्तौड़ के जिलाध्यक्ष विवेक वैष्णव, डूंगरपुर के जिला अध्यक्ष मनोज जैन सहित उदयपुर इकाई के कोषाध्यक्ष गोपाल लोहार, महिला सचिव प्रिया दुबे, जिला उपाध्यक्ष सुनील पंडित, दिनेश हाड़ा, दिनेश जैन, नरेन्द्र कहार, भारत भूषण, हरीश लोहार, लक्षित लोहार सहित कई सदस्यों ने विचार रखे।