जयपुर। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि ईआरसीपी राज्य की महत्वपूर्ण योजना हैं, जिसमें केन्द्रीय जल आयोग की 2010 की गाइड़ लाइन की पालना करते हुए केन्द्र सरकार के उपक्रम वेप्कॉस द्वारा 37 हजार 200 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों का नुकसान नहीं होने देंगे इस परियोजना से सिंचाई सुविधा के प्रावधान को नहीं हटाया जा सकता, केन्द्र जब तक राष्ट्रीय महत्व का दर्जा नहीं दे देती, राज्य सरकार अपने सीमित संशाधनों से इसका कार्य जारी रखेगी।

स्वायत्त शासन मंत्री ने कोटा में बताया कि यह परियोजना 13 जिलों की जीवन रेखा साबित होगी इसके पूरा होने से पेयजल उपलब्धता के साथ 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक के निवासियों की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाई गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नवनेरा-गलवा, बिशनपुर-ईसरदा लिंक, महलपुर बैराज, रामगढ़ बैराज के 9 हजार 600 करोड के काम हाथ में लिए जाने की बजट घोषणा की थी, इसका कार्य वर्ष 2022-23 में शुरू कर 2027 तक पूरा किया जाएगा।

डीपीआर में समझौतों की पालना

धारीवाल ने बताया कि इस परियोजना की डीपीआर मध्य प्रदेश राजस्थान अंतरराज्यीय स्टेट कंट्रोल बोर्ड की वर्ष 2005 में आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार तैयार की गई है। इस निर्णय के अनुसार राज्य किसी परियोजना के लिए अपने राज्य के कैचमेंट से प्राप्त 90 प्रतिशत पानी एवं दूसरे राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी का 10 प्रतिशत प्रयोग इस शर्त के साथ कर सकते हैं यदि परियोजना में आने वाले बांध और बैराजों का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य सीमा में नहीं आता हो तो ऎसे मामलों में राज्य की सहमति आवश्यक नहीं है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के उपक्रम वप्कॉस लिमिटेड द्वारा 37 हजार 200 करोड़ की डीपीआर नवंबर 2017 में तैयार कर केंद्रीय जल आयोग को स्वीति हेतु भेजी गई थी। उन्होंने बताया कि परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की वर्ष 2010 की गाइडलाइन के अनुसार ही तैयार की गई हैं।

व्यर्थ बहकर जा रहा है पानी

स्वायत्त शासन मंत्री ने बताया कि चंबल नदी पर धौलपुर में केंद्रीय जल आयोग का रिवर गेज स्टेशन है, जहां पर नदी में बहकर जाने वाले पानी की मात्रा मापी जाती है। केंद्रीय जल आयोग द्वारा इस स्टेशन से प्राप्त 36 साल के आंकड़ों के अनुसार औसतन 19 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर एवं 75 प्रतिशत निर्भरता पर 11 हजार 200 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी प्रतिवर्ष यमुना नदी के माध्यम से समुद्र में व्यर्थ बह जाता है। उन्होंने बताया कि जबकि इस योजना से मात्र 35 सौ मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही उपयोग में लिया जाएगा।

राज्य लगातार कर रहा है मांग

धारीवाल ने कहा कि राज्य लंबे समय से इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजना घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से कर रहा है, जिस पर अभी तक कोई सकारात्मक फैसला केंद्र द्वारा नहीं लिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर एवं अजमेर में 7 जुलाई 2018 एवं 6 अक्टूबर 2018 को आयोजित रैलियों में ईआरसीपी को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक निभाया नहीं गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

समय पर हो सकेगा काम

स्वायत्त शासन मंत्री ने बताया कि राज्य अपने संसाधनों से इस परियोजना पर कार्य जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है, अगर केंद्र सरकार हमारी सहायता नहीं करती हैं तो इसे पूरा करने में समय लग सकता है, लेकिन हम जरूर पूरा करेंगे। हम अपने प्रदेश के किसानों का नुकसान नहीं होने देंगे, इसलिए इस परियोजना में सिंचाई सुविधा का प्रावधान को नहीं हटाया जा सकता। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार इस योजना को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा नहीं दे देती तब तक राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों से इस परियोजना का कार्य जारी रखने का प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना को 90 अनुपात 10 के आधार पर राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा दिए जाने पर इस परियोजना को 10 वर्ष में पूर्ण किया जा सकेगा।

राज्य का बजट, केन्द्र कैसे काम रोक सकता है?

स्वायत्त शासन मंत्री ने कहा कि जब इस प्रोजेक्ट में अभी तक राज्य का पैसा लग रहा है, पानी राजस्थान के हिस्से का है तो केंद्र सरकार परियोजना का कार्य रोकने के लिए कैसे कह सकती है? केंद्र इस रवैये से प्रदेश की जनता को पेयजल से और किसानों को सिंचाई के पानी से वंचित करने का प्रयास क्यों कर रही है? उन्होंने बताया कि इस तरह के रोड़े अटकाने की वजह से इन 13 जिलों में न सिर्फ पेयजल और सिंचाई का काम प्रभावित हो रहा है बल्कि सतही जल की उपलब्धता पर आश्रित जल जीवन मिशन की कई जिलों में सफलता दर भी प्रभावित हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, इस कदम से तो किसानों की आय ही समाप्त हो जाएगी। जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ईआरसीपी में अपेक्षित सहयोग देने के बजाय उसने रोडे अटकाने का काम किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।